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Piles Treatment
About Piles
- Piles are the result of swollen veins in the lower anus and rectum. They can cause tissue growths in and around the anus and can lead to significant discomfort. These growths can vary in size and location.
- Piles, also known as hemorrhoids, are swollen veins in the rectum or anus that can cause pain.
There are two types:
- External hemorrhoids, which form under the skin around your anus
- Internal hemorrhoids, which form in the lining of your anus and lower rectum
Symptoms:
An individual with piles may experience the following symptoms:
- painful lumps in and around the anus
- itching and discomfort around the anus
- discomfort during and after passing stools
- bloody stools
With external hemorrhoids, you may have:
- Anal itching
- One or more hard, tender lumps near your anus
- Anal pain, especially when sitting
With internal hemorrhoids, you may have:
- Bleeding from your rectum – you would see bright red blood in your stool, on toilet paper, or in the toilet bowl after a bowel movement
- Prolapse, which is a hemorrhoid that has fallen through your anal opening
Causes:
- Straining during bowel movements.
- Sitting on the toilet for long periods of time.
- Chronic constipation or diarrhea.
- A low-fiber diet.
- Weakening of the supporting tissues in your anus and rectum. This can happen with aging and pregnancy.
- Frequently lifting heavy objects.
बवासीर की 7 आयुर्वेदिक दवाएं – Bawaseer Ki Ayurvedic Dawa
साइड-इफेक्ट्स नहीं होने के कारण आयुर्वेदिक दवाइयाँ बहुत किफायती होती हैं। लेकिन इनके अधिक डोज से मरीज को प्रताड़ना का सामना करना पड़ता है, इसलिए इनका सेवन करने से पहले अपने वैद्य से इसका डोज तय करवाना न भूलें।
कांकायन वटी
कांकायन वटी अदरक, पिप्पली जड़ी बूटियों और हरीतकी को मिलाकर बनाया जाता है। बवासीर से पीड़ित होने पर गुदा के आस-पास की नसों में खून जमने लगता है। नियमित रूप से इस दवा का सेवन करने से गुदा की नसों में खून का जमाव ठीक होने के साथ साथ बवासीर के कारण उत्पन्न दर्द और सूजन भी दूर हो जाता है। यह भूख बढ़ाने तथा तथा कब्ज को दूर करने का काम करता है, जिससे बवासीर के लक्षण कम होने लगते हैं।
त्रिफला गुग्गुल
बवासीर के लक्षणों को दूर करने वाली खास आयुर्वेदिक दवाओं में त्रिफला गुग्गल का नाम भी शामिल है। यह दवा पिप्पली, हरीतकी, गुग्गल, विभूतकी और आंवला जैसी जड़ी बूटियों से मिलकर निर्मित होती है। इसका सेवन करने से बवासीर के कारण गुदा में जन्म दर्द और सूजन खत्म हो जाता है, साथ ही साथ इंफेक्शन की संभावनाएं भी कम हो जाती हैं। अगर आप बवासीर (Piles) से पीड़ित हैं और उपचार के लिए अच्छी आयुर्वेदिक दवा की तलाश में हैं तो आपको डॉक्टर से परामर्श करने के बाद त्रिफला गुग्गल का उपयोग करना चाहिए। यह आपकी परेशानी को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से कम कर सकता है।
अंजीर (Fig)
अंजीर पेट से जुड़े विकारों को नष्ट करके बवासीर के लक्षणों को खत्म करता है। इसके सेवन से पाइल्स के कारण उत्पन्न दर्द, जलन और खुजली काफी हद तक खत्म हो जाती है। इतना ही नहीं, अंजीर खाने से पाचन तंत्र ठीक होता हैं एवं पाचन से संबंधित समस्याएं जैसे की पेट में गैस बनना, खाना हजम नहीं होना, समय पर शौंच नहीं आना आदि भी दूर हो जाते हैं। आप अंजीर को पानी में भिगोकर खा सकते हैं।
मंजिष्ठा
रक्त की गंदगी साफ करने के लिए यह सबसे बेहतरीन आयुर्वेदिक औषधि है। इसका उपयोग बवासीर के अलावा कैंसर, किडनी स्टोन, दस्त और पेचिश की समस्या को दूर करने के लिए भी किया जाता है। मंजिष्ठा में ट्यूमर नष्ट करने वाले तथा ऊतकों को सिकोड़ने के गुण मौजूद होते हैं। बड़े से बड़े घाव को मंजिष्ठा आसानी से भर देती है। बवासीर में खून के थक्के गांठ के रूप में देखने को मिलते हैं। मंजिष्ठा के सेवन से यह जल्द ही नष्ट हो जाते हैं, इसके अलावा यह ब्लड प्रेशर भी सामान्य रखने में मदद करती है। आप मंजिष्ठा का पाउडर, काढ़ा या पेस्ट का सेवन कर सकते हैं।
हरीतकी
हरीतकी को आयुर्वेदिक औषधियों में सबसे गुणकारी औषधि माना जाता है। यह पाचन संबंधी बीमारियों को ठीक करने के लिए सदियों से उपयोगी है। कब्ज पर लगाम लगाकर यह मलत्याग के दौरान होने वाले दर्द को कम करता है और अप्रत्यक्ष रूप से मस्सों को कम करने में सहायक होता है। बवासीर को ठीक करने के अलावा हरीतकी का इस्तेमाल दूसरी बीमारियों में भी किया जाता है, जिसमें शरीर की कमजोरी को दूर करना, डायरिया को ठीक करना, गैस और कब्ज से राहत दिलाना आदि शामिल हैं।
सूरन
बवासीर में गुदा में फोड़े हो जाते हैं जिसके कारण मलत्याग करने में असहजता होती है। विशेषज्ञ के अनुसार सूरन खूनी बवासीर में बहुत फायदेमंद होता है। यह कब्ज की शिकायत दूर करता है जिससे बवासीर के बढ़ने का खतरा कम हो जाता है। पेट में कीड़े होने पर भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। मल द्वार से खून निकलने और गुदा क्षेत्र में खुजली होने पर सूरन का इस्तेमाल कर सकते हैं।
अर्शकल्प
बवासीर के लिए अर्शकल्प बहुत ही अच्छी आयुर्वेदिक दवा है। बाजार में आप पतंजलि या फिर वेदऋषि की अर्शक्ल्प वटी नामक टेबलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। दोनों ही कंपनी की दवाइयां अपनी-अपनी जगह बेहतर कार्य करती हैं। इनमें एंटीबैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण मौजूद होते हैं जो बवासीर का इलाज करने के लिए एक बेहतर विकल्प साबित होते हैं।
Risk Factor:
Certain factors may increase a person’s risk of developing piles, including:
- Pregnancy: Up to 50%Trusted Source of people experience hemorrhoids during pregnancy. This is due to increased pressure on the pelvis, a person having a higher blood volume, and a higher incidence of constipation.
- Age: Piles are more common in older adults. Around half Trusted Source of people over the age of 50 develop piles.
- Weight: Research suggests that being overweight may increase Trusted Source a person’s chance of developing piles.
- Diet: Eating a diet low in fiber may increase the likelihood Trusted Source of a person having piles.
How are hemorrhoids diagnosed?
To find out if you have hemorrhoids, your health care provider:
- Will ask about your medical history.
- Will do a physical exam. Often providers can diagnose external hemorrhoids by looking at the area around your anus.
- Will do a digital rectal exam to check for internal hemorrhoids. For this, the provider will insert a lubricated, gloved finger into the rectum to feel for anything that is abnormal.
- May do procedures such as an anoscopy to check for internal hemorrhoids.
Treatments
In most cases, piles resolve on their own without the need for any treatment. However, some treatments can help significantly reduce the discomfort and itching that many people experience with piles.
Lifestyle changes
A doctor will initially recommend some lifestyle changes to manage piles.
Piles can occur due to straining during bowel movements. Excessive straining is the result of constipation. A change in diet can help keep the stools regular and soft. This involves eating more fiber, such as fruit and vegetables, or primarily eating bran-based breakfast cereals.
A doctor may also advise the person with piles to increase their water consumption. Losing weight may help reduce the incidence and severity of piles.
To prevent piles, doctors also adviseTrusted Source exercising and avoiding straining to pass stools. Exercising is one of the main therapies for piles.
Medications
Several medicinal options are available to make symptoms more manageable for an individual with piles:
- Pain relievers: Over-the-counter pain relievers such as aspirin and ibuprofen can reduce discomfort.
- Stool softeners: Stool softeners and laxatives can make passing stools easier, which can reduce pain from piles.
- Corticosteroids: Corticosteroid creams and ointment can reduce inflammation, pain, and itching.
Surgical options
If a person has severe prolapsed piles or internal piles that are bleeding, surgery may be necessary. Surgical procedures for piles include:
- Banding: The doctor places an elastic band around the base of the pile, cutting off its blood supply. The hemorrhoid will typically fall off within a weekTrusted Source.
- Sclerotherapy: A doctor will inject medicine into the hemorrhoid to make it shrink and eventually shrivel up. This is effective for grade II and III hemorrhoids and is an alternative to banding.
- Infrared coagulation: During this procedure, a surgeon will use an infrared light device to burn the hemorrhoid tissue.
- Hemorrhoidectomy: This type of surgery involves the total removal of hemorrhoid tissue. It is the most effectiveTrusted Source option for completely removing piles, but there is a risk of complications, including difficulties with passing stools.
- Hemorrhoid stapling: During this procedure, a surgeon will use staples to block blood flow to the hemorrhoid tissue.
बवासीर के प्रकार (Piles (Hemorrhoids) Types):
बवासीर दो प्रकार की होती हैं, जो ये हैंः-
खूनी बवासीर
खूनी बवासीर में किसी प्रकार की पीड़ा नहीं होती है। इसमें मलत्याग करते समय खून आता है। इसमें गुदा के अन्दर मस्से हो जाते हैं। मलत्याग के समय खून मल के साथ थोड़ा-थोड़ा टपकता है, या पिचकारी के रूप में आने लगता है।
मल त्यागने के बाद मस्से अपने से ही अन्दर चले जाते हैं। गंभीर अवस्था में यह हाथ से दबाने पर भी अन्दर नहीं जाते। इस तरह के बवासीर का तुरंत उपचार कराएं।
बादी बवासीर
बादी बवासीर में पेट की समस्या अधिक रहती है। कब्ज एवं गैस की समस्या बनी ही रहती है। इसके मस्सों में रक्तस्राव नहीं होता। यह मस्से बाहर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनमें बार-बार खुजली एवं जलन होती है। शुरुआती अवस्था में यह तकलीफ नहीं देते, लेकिन लगातार अस्वस्थ खान-पान और कब्ज रहने से यह फूल जाते हैं। इनमें खून जमा हो जाता है, और सूजन हो जाती है।
Prevention:
- Eating foods that are high in fiber.
- Taking a stool softener or a fiber supplement.
- Drinking enough fluids every day.
- Not straining during bowel movements.
- Not sitting on the toilet for long periods of time.
- Taking over-the-counter pain relievers.
- Avoiding heavy lifting
- Maintaining a moderate weight
- Staying active
बवासीर और भगन्दर में अन्तर (Difference between Piles and Fistula):
- बवासीर में गुदा एवं मलाशय के निचले भाग की रक्तवाहिनियों में सूजन आ जाती है। ऐसा लम्बे समय तक कब्ज और शौच में अत्यधिक समय तक बैठे रहने से होता है।
- इसके अलावा मोटापा या गर्भवती महिलाओं में भी यह होने का खतरा रहता है। इसमें गुदा या मलाशय में मस्से बन जाते हैं, जिनके फूटने पर इनसे खून निकलता है, और दर्द होता है।
- भगन्दर में मस्से नहीं होते हैं। भगन्दर में एक घावयुक्त नली बन जाती है, जो गुदा नलिका (internal opening) तथा गुदा के बाहर
- (external opening) की त्वचा में होती है।
- भगन्दर उन लोगों में होता है, जिनके मलद्वार के पास कोई फोड़ा हो जाता है। फोड़े में कई मुंह बन जाते है। ऐसे में यदि रोगी व्यक्ति उससे छेड़छाड़ करता है तो भगन्दर हो जाता है।
- इसमें से खून और मवाद लगातार निकलता रहता है। शुरुआती अवस्था में इसमें मवाद और खून की मात्रा कम होती है। इसलिए इससे रोगी के वस्त्रों में केवल दाग मात्र लगता है। धीरे-धीरे रिसाव बढ़ता जाता है, और रोगी को खुजली, बेचैनी और दर्द होने लगता है।